Ho kaal gati se pare chirantan - Kumar vishwas
नमस्कार दोस्तो आज हम आपके लिए कुमार विश्वास की कविता का Lyrics लाए है हमने नीचे वीडियो की लिंक भी दी है तो आप वीडियो चला के कुमार विश्वास की के साथ ये कविता गाइए आपको अद्भुत आनंद प्राप्त होगा।
की
हो काल गति से परे चिरंतन,अभी यहाँ थे अभी यही हो।कभी धरा पर कभी गगन में,कभी कहाँ थे कभी कहीं हो तुम्हारी राधा को भान है तुम,
सकल चराचर में हो समाए।
बस एक मेरा है भाग्य मोहन,
की जिसमे होकर भी तुम नहीं हो।
ना द्वारका में मिले विराजे,विरज की गलियों में भी नहीं हो ना योगियों के हो ध्यान में तुम अहम जड़े ज्ञान में नहीं हो तुम्हे ये जग ढूंढता है मोहन, मगर इसे ये खबर नहीं है। बस एक मेरा भाग्य है मोहन, अगर कहीं हो तो तुम यहीं हो
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